Story - Saint Ravidas
PSEB 8th Class English Book
Saint Ravidas
India has been a home for saints and sages. Whenever the moral or social life of people shows signs of decay, some saint or prophet appears on the scene. Ravidas was one such saint who infused new life and vitality into the Hindu social order. Ravidas was born in the year 1377 in Banaras, the holy city of the Hindus. He was the son of a cobbler. His parents wanted him to be educated. They sent him to school. Unluckily, he was unhappy at school and very soon he was out of it. The school life made him understand the ills of the society. Ravidas realized that a child born in the low caste was not treated well in the society. In such an unfriendly atmosphere, little Ravidas could not put his heart into studies. Often he would sitalone and think deeply. It would then appear as if he were in deep samadhi.
Ravidas had no interest in material things. He was only interested in matters related to the spirit. He wanted to gain spiritual knowledge. He was in search of some spiritual teacher who could show him the right path. Soon, he became a disciple of Swami Ramanand. Ravidas stayed with the Swami for some time. There was a complete change in his life. Swami Ramanand’s lectures left a great impression on his young mind. Through these sermons, he came to understand the true meaning of life. He came to know of the ancient Indian wisdom and culture. The field was ready, the seed was sown and the crop did not take long to ripen. When the guru was satisfied that the spiritual flame had been kindled permanently, he asked Ravidas to return home and live the way he wanted to live. The enlightened disciple now felt that he had a divine mission to live for. He chose Banaras to be the place of his future activities. Ravidas felt that his training in spiritual life was not yet complete. He had a desire to have more and more spiritual knowledge. For this, he decided to beautify an area of the forest where he could meditate in peace. One day, while meditating, he felt disturbed by a sudden movement in the bushes.
Ravidas got up and looked around. A she-deer had been caught in a net laid by a hunter. The poor animal was struggling to get free. As the hunter approached her, she looked at him with pleading eyes. It was as if she was begging for mercy. It was her time to feed her young ones.
The three fawns came jumping to her joyfully but they were shocked when they saw their mother in a miserable plight. The mother and her young ones were a painful picture of misery and helplessness.
Their silent prayers and their sad eyes could have melted even a heart of stone. But the cruel hunter remained unmoved. His eyes showed no trace of pity or kindness. He stepped forward to capture the animal and her young ones.
As Ravidas looked at them, his heart melted in pity. He felt it his duty to save the poor helpless animals from death. He went up to the hunter and spoke like this:
“We are all the children of the same God. God is our loving father. It is the divine essence that runs in the human heart as love. It is the divine essence that fills the rose with fragrance. Again, it is the divine essence that fills the lion with beauty. It is the divine essence that fills the birds with joy, the deer with its fawn, and the dove with sweetness. Therefore, do not shed your tears over creature living on this earth. All forms of life are sacred. It is man’s most sacred duty to bring peace to a troubled heart. We should never cause pain, suffering, or death to any living
being. We should love all things – great or small. Even a tiny insect in grass is as sacred as a human child.”
The hunter listened to the kind words of Saint Ravidas and felt deep respect for the Saint. The charm of the Saint’s personality and his words of wisdom washed away all evil thoughts from the hunter’s mind. It was a miracle for the hunter. A short meeting with the great saint had changed him completely. The killer’s heart was filled with love for God and all His creation. The hunter promised to lead a compassionate life and never to cause harm to anyone.
Saint Ravidas was always very humble. He was different from most of the scholars and religious men of his time. He never boasted of his knowledge and wisdom. His divine knowledge came from within. His spiritual message appealed to every heart. People listened to him spellbound. He spoke in a simple and clear manner. He told people that all are equal in the eyes of God. The distinctions of caste, colour and creed are meaningless. They are all man-made.
Saint Ravidas brought great hope for those who were poor, weak and backward. He filled them with hope, courage and confidence. He inspired them not to bow to the unjust demands of the high-caste people. He inspired them to recognize the strength of the spirit within them. He asked them to stay away from all evil thoughts. He always said, “Untouchability is a sin against humanity.”
Saint Ravidas continued to guide and reform the society of his time all his life. Even in his old age, he had the divine glow on his face. All his mental faculties remained as strong as ever. His spirit remained untouched by the stresses of the material world.
He led a spiritual life. His end was peaceful. A great soul on this earth became one with the eternal soul.
संत रविदास
भारत संतों और ऋषियों का घर रहा है। जब भी लोगों के नैतिक या सामाजिक जीवन में गिरावट के संकेत दिखते हैं, कोई संत या भविष्यवक्ता सामने आ जाता है। रविदास ऐसे ही एक संत थे जिन्होंने हिंदू सामाजिक व्यवस्था में नया जीवन और ऊर्जा का संचार किया। रविदास का जन्म 1377 में बनारस, हिंदुओं के पवित्र शहर, में हुआ था। वे एक मोची के पुत्र थे। उनके माता-पिता चाहते थे कि वे शिक्षित हों। उन्होंने उन्हें स्कूल भेजा। दुर्भाग्यवश, वे स्कूल में खुश नहीं थे और जल्द ही उन्होंने स्कूल छोड़ दिया। स्कूल के जीवन ने उन्हें समाज की बुराइयों को समझाया। रविदास ने महसूस किया कि एक निचली जाति में जन्म लेने वाले बच्चे के साथ समाज में अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था। ऐसे अनमने माहौल में, छोटे रविदास पढ़ाई में मन नहीं लगा सके। अक्सर वे अकेले बैठते और गहराई से सोचते। ऐसा लगता था जैसे वे गहरी समाधि में हों।
रविदास का भौतिक वस्तुओं में कोई रुचि नहीं थी। उन्हें केवल आध्यात्मिक मामलों में दिलचस्पी थी। वे आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे। वे किसी ऐसे आध्यात्मिक गुरु की तलाश में थे जो उन्हें सही मार्ग दिखा सके। जल्द ही, वे स्वामी रामानंद के शिष्य बन गए। रविदास कुछ समय तक स्वामी के साथ रहे। उनके जीवन में एक पूर्ण परिवर्तन हुआ। स्वामी रामानंद के प्रवचनों ने उनके युवा मन पर गहरा प्रभाव डाला। इन प्रवचनों के माध्यम से, वे जीवन के सच्चे अर्थ को समझने लगे। उन्होंने प्राचीन भारतीय ज्ञान और संस्कृति के बारे में जाना। खेत तैयार था, बीज बोया गया था और फसल को पकने में ज्यादा समय नहीं लगा। जब गुरु ने संतुष्ट हो लिया कि आध्यात्मिक ज्वाला स्थायी रूप से जल चुकी है, तो उन्होंने रविदास से कहा कि वे घर लौट जाएं और अपनी तरह से जीवन जीएं। अब आत्मज्ञान प्राप्त शिष्य ने महसूस किया कि उनके पास जीने के लिए एक दिव्य उद्देश्य है। उन्होंने बनारस को अपनी भविष्य की गतिविधियों के लिए चुना। रविदास को लगा कि उनकी आध्यात्मिक जीवन की ट्रेनिंग अभी पूरी नहीं हुई है। उन्हें और अधिक आध्यात्मिक ज्ञान की इच्छा थी। इसके लिए, उन्होंने एक जंगल के क्षेत्र को सुंदर बनाने का फैसला किया जहाँ वे शांति से ध्यान कर सकें। एक दिन, ध्यान करते समय, उन्होंने झाड़ियों में अचानक होने वाली हलचल से खुद को विचलित महसूस किया।
रविदास उठे और इधर-उधर देखा। एक मादा हिरण शिकारी द्वारा बिछाए गए जाल में फंसी हुई थी। वह गरीब जानवर खुद को मुक्त करने के लिए संघर्ष कर रही थी। जब शिकारी उसके पास आया, तो उसने दयनीय आँखों से उसकी ओर देखा। ऐसा लग रहा था जैसे वह दया की भीख मांग रही हो। यह उसके बच्चों को खिलाने का समय था।
तीन हिरण के बच्चे खुशी से कूदते हुए उसके पास आए, लेकिन वे तब चौंक गए जब उन्होंने अपनी माँ को एक दयनीय स्थिति में देखा। माँ और उसके बच्चे दु:ख और बेबसी की एक दर्दनाक तस्वीर थे।
उनकी मौन प्रार्थनाएं और उनकी उदास आँखें पत्थर के दिल को भी पिघला सकती थीं। लेकिन निर्दयी शिकारी अडिग रहा। उसकी आँखों में दया या kindness का कोई निशान नहीं था। वह जानवर और उसके बच्चों को पकड़ने के लिए आगे बढ़ा।
जैसे ही रविदास ने उन्हें देखा, उनका दिल दया से पिघल गया। उन्होंने महसूस किया कि यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे इन गरीब बेबस जानवरों को मौत से बचाएं। वे शिकारी के पास गए और इस तरह बोले:
“हम सब एक ही ईश्वर की संतान हैं। ईश्वर हमारा प्रेमी पिता है। यह वही दिव्य तत्व है जो मानव हृदय में प्रेम के रूप में दौड़ता है। यह वही दिव्य तत्व है जो गुलाब को खुशबू से भर देता है। फिर, यह वही दिव्य तत्व है जो शेर को सुंदरता से भरता है। यह वही दिव्य तत्व है जो पक्षियों को आनंद से, हिरण को अपने बच्चे के साथ, और कबूतर को मिठास से भरता है। इसलिए, इस धरती पर जीवित प्राणी पर अपने आँसू मत बहाओ। जीवन के सभी रूप पवित्र हैं। यह मनुष्य का सबसे पवित्र कर्तव्य है कि वह एक troubled हृदय को शांति दे। हमें कभी भी किसी जीवित प्राणी को दर्द, कष्ट, या मृत्यु का कारण नहीं बनाना चाहिए।”
“हमें सभी चीजों से प्रेम करना चाहिए – बड़ी या छोटी। घास में भी एक छोटा कीट उतना ही पवित्र है जितना कि एक मानव बच्चा।”
शिकारी ने संत रविदास के दयालु शब्दों को सुना और संत के प्रति गहरा सम्मान महसूस किया। संत के व्यक्तित्व का आकर्षण और उनके ज्ञान के शब्दों ने शिकारी के मन से सभी बुरे विचारों को धो डाला। यह शिकारी के लिए एक चमत्कार था। महान संत के साथ एक छोटी सी मुलाकात ने उसे पूरी तरह से बदल दिया था। हत्यारे के दिल में भगवान और उसकी सभी सृष्टियों के लिए प्रेम से भर गया था। शिकारी ने एक दयालु जीवन जीने और कभी भी किसी को नुकसान न पहुँचाने का वादा किया।
संत रविदास हमेशा बहुत विनम्र थे। वे अपने समय के अधिकांश विद्वानों और धार्मिक व्यक्तियों से अलग थे। उन्होंने कभी अपने ज्ञान और बुद्धिमत्ता का घमंड नहीं किया। उनका दिव्य ज्ञान भीतर से आया था। उनका आध्यात्मिक संदेश हर दिल को भा गया। लोग मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते थे। उन्होंने सरल और स्पष्ट तरीके से बात की। उन्होंने लोगों से कहा कि भगवान की दृष्टि में सभी समान हैं। जाति, रंग और पंथ के भेद अर्थहीन हैं। ये सभी मनुष्य द्वारा बनाए गए हैं।
संत रविदास ने उन लोगों के लिए बड़ी आशा लाई जो गरीब, कमजोर और पिछड़े थे। उन्होंने उन्हें आशा, साहस और आत्मविश्वास से भरा। उन्होंने उन्हें उच्च जाति के लोगों की अन्यायपूर्ण मांगों के आगे झुकने के लिए प्रेरित नहीं किया। उन्होंने उन्हें अपने भीतर की आत्मा की शक्ति को पहचानने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने उनसे कहा कि सभी बुरे विचारों से दूर रहें। उन्होंने हमेशा कहा, “अस्पृश्यता मानवता के खिलाफ एक पाप है।”
संत रविदास ने अपने समय के समाज का मार्गदर्शन और सुधार करना जारी रखा। यहां तक कि अपनी बुढ़ापे में भी, उनके चेहरे पर दिव्य चमक थी। उनकी सभी मानसिक क्षमताएं पहले की तरह मजबूत बनी रहीं। उनकी आत्मा भौतिक दुनिया के तनावों से अप्रभावित रही।
उन्होंने एक आध्यात्मिक जीवन जिया। उनका अंत शांतिपूर्ण था। इस धरती पर एक महान आत्मा एक अनन्त आत्मा के साथ एक हो गई।
Activity 1 - Saint Ravidas
PSEB 8th Class English Book
Look up the following words in a dictionary. You should seek the following information about the words and put them in your WORDS notebook.
1. Meaning of the word as used in the lesson (adjective/noun/verb. etc.)
2. Pronunciation (The teacher may refer to the dictionary or a mobile phone for correct pronunciation.)
3. Spellings.
Decay
- Meaning in English: The process of rotting or decomposing; decline in quality.
- Hindi: क्षय, सड़न, गिरावट
- Punjabi: ਨਾਸ਼, ਸੜਨ, ਗਿਰਾਵਟ
Disciple
- Meaning in English: A follower or student of a teacher, leader, or philosopher.
- Hindi: शिष्य
- Punjabi: ਚੇਲਾ
Impression
- Meaning in English: An effect, feeling, or image retained as a consequence of experience; an imprint or mark.
- Hindi: छाप, प्रभाव
- Punjabi: ਪ੍ਰਭਾਵ, ਛਾਪ
Sermons
- Meaning in English: A religious discourse delivered as part of a service; a speech on a moral or religious topic.
- Hindi: उपदेश, प्रवचन
- Punjabi: ਉਪਦੇਸ਼
Meditate
- Meaning in English: To focus one’s mind for a period of time for spiritual purposes or relaxation.
- Hindi: ध्यान करना
- Punjabi: ਧਿਆਨ ਲਗਾਉਣਾ
Plight
- Meaning in English: A dangerous, difficult, or otherwise unfortunate situation.
- Hindi: दुर्दशा, संकट
- Punjabi: ਮੰਦੀ ਹਾਲਤ, ਦੁੱਖੀ ਹਾਲਤ
Essence
- Meaning in English: The intrinsic nature or indispensable quality of something that determines its character.
- Hindi: सार, तत्व
- Punjabi: ਸਾਰ, ਅਸਲੀਅਤ
Distinction
- Meaning in English: A difference or contrast between similar things or people; excellence or worth.
- Hindi: भेदभाव, अंतर
- Punjabi: ਫਰਕ, ਵਿਸ਼ੇਸ਼ਤਾ
Stress
- Meaning in English: A state of mental or emotional strain or tension; emphasis placed on a word or phrase.
- Hindi: तनाव, दबाव
- Punjabi: ਤਣਾਅ, ਦਬਾਅ
Eternal
- Meaning in English: Lasting or existing forever; without end or beginning.
- Hindi: शाश्वत, अनंत
- Punjabi: ਅਨੰਤ, ਅਬਿਨਾਸ਼ੀ
Activity 2 - Saint Ravidas
Add the right prefix or suffix to the following words. (You may have to add a vowel or a consonant to complete the spellings.)
- act – enact, actor
- scene – scenery
- pot – potter
- music – musical
- run – runner
- sculpt – sculptor
- vend – vendor
- report – reporter
- paint – painter
- electric – electrical
- happening – mishappening
- complete – completion
- correct – incorrect
- patient – patience
- possible – impossible
- loyal – disloyal, loyalty
- read – reader
- apper – appearance
- appear – appearance
- place – placement
Activity 3
PSEB 8th Class English Book – Saint Ravidas
Write answers to the following questions.
When and where was Ravidas ji born?
रविदास जी का जन्म कब और कहाँ हुआ ?
Answer:
Ravidas Ji was born in the year 1377 at Banaras.
रविदास जी का जन्म 1377 में बनारस में हुआ था।
ਰਵਿਦਾਸ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ 1377 ਵਿੱਚ ਬਨਾਰਸ ਵਿੱਚ ਹੋਇਆ ਸੀ।
Question 2.
What did Saint Ravidas ji’s parents want?
रविदास जी के माता-पिता क्या चाहते थे ?
Answer:
They wanted him to be educated.
वे चाहते थे कि वह शिक्षित हो।
ਉਹ ਚਾਹੁੰਦੇ ਸਨ ਕਿ ਉਹ ਸਿੱਖਿਆ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰੇ।
Question 3.
Why could Ravidas ji not continue with his studies?
रविदास जी अपनी पढ़ाई जारी क्यों नहीं रख सके ?
Answer:
Ravidas ji found an unfriendly atmosphere at school. So he could not put his heart into studies.
रविदास जी ने स्कूल में एक अनुकूल वातावरण नहीं पाया, इसलिए वह पढ़ाई में मन नहीं लगा सके।
ਰਵਿਦਾਸ ਜੀ ਨੂੰ ਸਕੂਲ ਵਿੱਚ ਅਣਮਿੱਤਰਤਾਵਾਂ ਭਰਿਆ ਮਾਹੌਲ ਮਿਲਿਆ, ਇਸ ਲਈ ਉਹ ਪੜਾਈ ਵਿੱਚ ਦਿਲ ਨਹੀਂ ਲਾ ਸਕੇ।
Question 4.
What did he understand at school ?
उन्होंने स्कूल में क्या अनुभव किया ?
Answer:
He understood at school that a child born in a low caste was not treated well in the society.
उन्होंने स्कूल में अनुभव किया कि निचली जाति में जन्मे बच्चे के साथ समाज में अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता।
ਉਹਨੇ ਸਕੂਲ ਵਿੱਚ ਅਨੁਭਵ ਕੀਤਾ ਕਿ ਨੀਚੀ ਜਾਤ ਵਿੱਚ ਜਨਮੇ ਬੱਚੇ ਨਾਲ ਸਮਾਜ ਵਿੱਚ ਚੰਗਾ ਵਿਵਹਾਰ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਸੀ।
Question 5.
What was Ravidas ji in search of and why?
रविदास जी किसकी तलाश में थे और क्यों ?
Answer:
Ravidas Ji was in search of some spiritual teacher to show him the right path.
रविदास जी किसी आध्यात्मिक गुरु की तलाश में थे जो उन्हें सही मार्ग दिखा सके।
ਰਵਿਦਾਸ ਜੀ ਕਿਸੇ ਆਧਿਆਤਮਿਕ ਗੁਰੂ ਦੀ ਤਲਾਸ਼ ਵਿੱਚ ਸਨ ਜੋ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਸਹੀ ਰਾਹ ਦਿਖਾ ਸਕੇ।
Question 6.
What did Swami Ramanand ji do for Ravidas ji ?
स्वामी रामानन्द जी ने रविदास जी के लिए क्या किया ?
Answer:
Swami Ramanand ji kindled spiritual flame in Ravidas ji that changed his life.
स्वामी रामानन्द जी ने रविदास जी के अंदर आध्यात्मिक ज्योति प्रज्वलित की, जिसने उनका जीवन बदल दिया।
ਸਵਾਮੀ ਰਾਮਾਨੰਦ ਜੀ ਨੇ ਰਵਿਦਾਸ ਜੀ ਵਿੱਚ ਆਧਿਆਤਮਿਕ ਜੋਤ ਜਗਾਈ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਉਹਨਾਂ ਦੀ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਬਦਲ ਗਈ।
Question 7.
When did Swami Ramanand ask Ravidas ji to go back home ?
स्वामी रामानन्द जी ने रविदास जी को घर लौट जाने के लिए कब कहा ?
Answer:
When Swami Ramanand ji was satisfied that the spiritual flame had been kindled permanently in Ravidas ji, he asked, him to go home.
जब स्वामी रामानन्द जी संतुष्ट हो गए कि रविदास जी में आध्यात्मिक ज्योति स्थायी रूप से प्रज्वलित हो गई है, तो उन्होंने उन्हें घर लौट जाने के लिए कहा।
ਜਦੋਂ ਸਵਾਮੀ ਰਾਮਾਨੰਦ ਜੀ ਇਹ ਯਕੀਨ ਕਰ ਲੈਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਰਵਿਦਾਸ ਜੀ ਵਿੱਚ ਆਧਿਆਤਮਿਕ ਜੋਤ ਸਥਾਈ ਤੌਰ ਤੇ ਜਗ ਚੁੱਕੀ ਹੈ, ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਘਰ ਵਾਪਸ ਜਾਣ ਲਈ ਕਿਹਾ।
Question 8.
Which place did Saint Ravidas ji choose for his meditation ?
संत रविदास जी ने ध्यान लगाने के लिए कौन-सा स्थान चुना ?
Answer:
He chose a peaceful place in the forest for his meditation.
उन्होंने ध्यान लगाने के लिए जंगल में एक शांत जगह चुनी।
ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਧਿਆਨ ਲਈ ਜੰਗਲ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਸ਼ਾਂਤ ਜਗ੍ਹਾ ਚੁਣੀ।
Question 9.
How did Saint Ravidas ji save the deer family from the hunter ?
संत रविदास जी ने शिकारी से मृग परिवार की रक्षा कैसे की ?
Answer:
Saint Ravidas ji saved the deer family from the cruel hunter with his words of wisdom and charming personality.
संत रविदास जी ने अपनी बुद्धिमत्ता और आकर्षक व्यक्तित्व से शिकारी से मृग परिवार की रक्षा की।
ਸੰਤ ਰਵਿਦਾਸ ਜੀ ਨੇ ਆਪਣੀ ਬੁੱਧਿਮੱਤਾ ਅਤੇ ਆਕਰਸ਼ਕ ਵਿਅਕਤੀਗਤਤਾ ਨਾਲ ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਤੋਂ ਮ੍ਰਿਗ ਪਰਿਵਾਰ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕੀਤੀ।
Question 10.
What change was seen in the hunter after his contact with Saint Ravidas ji ?
संत रविदास जी के सम्पर्क में आने के बाद शिकारी में क्या परिवर्तन देखने को मिला ?
Answer:
All the evil thoughts in the hunter’s mind were washed away.
शिकारी के मन के सभी बुरे विचार धुल गए।
ਸ਼ਿਕਾਰੀ ਦੇ ਮਨ ਵਿੱਚ ਸਾਰੇ ਬੁਰੇ ਵਿਚਾਰ ਮਿਟ ਗਏ।
Question 11.
What were the main points of Saint Ravidas’ ji teachings ?
संत रविदास जी की शिक्षा के मुख्य बिंदु क्या थे ?
Answer:
The main points of Saint Ravidas ji’s teaching were:
(a) All are equal in the eyes of God.
(b) The distinctions of caste, colour, and creed are meaningless.
(c) Untouchability is a sin against humanity.
संत रविदास जी की शिक्षा के मुख्य बिंदु थे:
(क) ईश्वर की दृष्टि में सभी समान हैं।
(ख) जाति, रंग, और धर्म के भेदभाव का कोई अर्थ नहीं है।
(ग) अछूत प्रथा मानवता के खिलाफ एक पाप है।
ਸੰਤ ਰਵਿਦਾਸ ਜੀ ਦੀ ਸਿੱਖਿਆ ਦੇ ਮੁੱਖ ਬਿੰਦੂ ਸਨ:
(ਕ) ਪਰਮਾਤਮਾ ਦੀਆਂ ਅੱਖਾਂ ਵਿੱਚ ਸਭ ਇੱਕੋ ਜਿਹੇ ਹਨ।
(ਖ) ਜਾਤੀ, ਰੰਗ, ਅਤੇ ਧਰਮ ਦੇ ਭੇਦ ਭਾਵ ਦਾ ਕੋਈ ਅਰਥ ਨਹੀਂ ਹੈ।
(ਗ) ਛੂਆਛੂਤ ਮਨੁੱਖਤਾ ਵਿਰੁੱਧ ਇਕ ਪਾਪ ਹੈ।
Activity 4
What do you understand about Saint Ravidas ji in the lesson ? Write three to four sentences on Saint Ravidas ji.
Saint Ravidas Ji was a great spiritual leader and a social reformer. He taught people that all human beings are equal, and there should be no discrimination based on caste, color, or religion. He believed that untouchability is wrong and goes against humanity. Ravidas Ji’s teachings spread love, equality, and unity among people.
Activity 5
Underline the helping verb with a single line and encircle (or make Italic) the main verb in the following sentences.
- They were eating in a restaurant.
- Rakhee had prepared food at home.
- The guests were sleeping in the bedroom.
- Sushant is sitting in the kitchen.
- They have participated in the race.
- Radhika has been playing basketball for several years.
- They will take tea.
- He is practising the piano.
- We go to the cinema every week. (Note: No helping verb here; “go” is the main verb.)
- Navika is reading the newspaper.
Activity 6
State whether the verbs in the following sentences are Transitive or Intransitive. Also I write the verb and the object (if any) in the space given.
She has lost her bag.
(Transitive; Verb: lost; Object: her bag)The wind is blowing strongly.
(Intransitive; Verb: blowing; Object: …………)Babli closed the window.
(Transitive; Verb: closed; Object: the window)Soon……..the door opened.
(Intransitive; Verb: opened; Object: …………)He pulled open the ……. door.
(Transitive; Verb: pulled open; Object: the door)His novel is ………… selling well.
(Intransitive; Verb: selling; Object: …………)The teacher went to the school.
(Intransitive; Verb: went; Object: …………)He doesn’t like his table.………
(Transitive; Verb: doesn’t like; Object: his table)Tim likes climbing ……mountains.
(Transitive; Verb: likes; Object: climbing mountains)Manju is ………going to buy him a book.
(Intransitive; Verb: going; Object: …………)She has invited her friends.
(Transitive; Verb: invited; Object: her friends)She didn’t sleep very……..well.
(Intransitive; Verb: didn’t sleep; Object: …………)She sat in the park.
(Intransitive; Verb: sat; Object: …………)They have won.
(Intransitive; Verb: won; Object: …………)Their team won the match.
(Transitive; Verb: won; Object: the match)The car needs a new battery.
(Transitive; Verb: needs; Object: a new battery)We must see them this weekend.
(Transitive; Verb: see; Object: them)They should no longer wait.
(Intransitive; Verb: wait; Object: …………)Harpreet was upset.
(Intransitive; Verb: was; Object: …………)It is snowing.
(Intransitive; Verb: snowing; Object: …………)
Activity 7
Each student in all the groups will write a secret thing about himself/herself. The other group members will guess the secret in 5 questions. The answers will be in full sentences.
Questions you may ask :
What is the secret about – you, your friends, or your family?
The secret is about me.Is it about something you do, something you like, something you have, or something you eat?
It is about something I like.Is it about what you play, make, speak, read, or have?
It is about what I play.Do you play cricket, football, kabaddi, or fly kites?
I play football.Well, what is your secret?
My secret is that I am very good at playing football, and I want to be a football player one day.
Activity 8
PSEB 8th Class English Book
Write the dialogue between Saint Ravidas and the hunter.
Saint Ravidas: “Brother, we are all God’s children. God loves all of us. His love is in everything—flowers, animals, and people. Every living thing is important.”
Hunter: “But I am a hunter. Hunting is how I live.”
Saint Ravidas: “Living is important, but we should not hurt others. Even small insects are special. Hurting others takes us away from God. We should live with love.”
Hunter: “I never thought this way. I only thought about hunting. What should I do now?”
Saint Ravidas: “Be kind. Let these deer and babies go. Promise not to hurt any living being. Showing love brings you closer to God.”
Hunter: “Your words have changed me, Saint. I promise not to harm any creature. I will live kindly.”
Saint Ravidas: “God bless you, brother. Remember, every kind act brings you closer to God.”
The hunter freed the deer and her babies. He felt peace and happiness in his heart.
Activity 9
A father is teaching his son how to make tea. Write a dialogue between the father and the son.
Father: “Let’s make tea today. Are you ready to learn?”
Son: “Yes, Dad! What do we need first?”
Father: “We need water, tea leaves, sugar, and milk. And a pot to boil them.”
Son: “Okay, I got it. What do we do next?”
Father: “First, pour some water into the pot. Put it on the stove.”
Son: “How much water, Dad?”
Father: “About one cup of water. Now, turn on the stove.”
Son: “Done! What’s next?”
Father: “Now, add one teaspoon of tea leaves. Let it boil for a minute.”
Son: “It’s boiling! What should I do now?”
Father: “Add some sugar. One or two teaspoons, as you like.”
Son: “I like it sweet. I’ll add two.”
Father: “Good. Now, add half a cup of milk.”
Son: “Milk is in. How long do we wait?”
Father: “Let it boil again for a minute. Then, turn off the stove.”
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Vivek Kaushal is a passionate educator with over 14 years of teaching experience. He holds an MCA and B.Ed. and is certified as a Google Educator Level 1 and Level 2. Currently serving as the Principal at Vivek Public Sr. Sec. School, Vivek is dedicated to fostering a dynamic and innovative learning environment for students. Apart from his commitment to education, he enjoys playing chess, painting, and cricket, bringing a creative and strategic approach to both his professional and personal life.
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